About Us
वो नाज़ भरी मस्ती मैख़ाने में लहराई,
मैकश के मुक़द्दर से शीशे में उतर आई ।
उस जलवये रंगीं की जब देख ली रानाई,
फिर शै कोई दुनिया की आँखों को नहीं भाई ।
पहलू में लिए अपने हम उनके तसव्वुर को,
तस्वीर सरापा थे, दुनिया थी तमाशाई ।
जब उनकी नज़र दिल के पैमाने से टकराई,
बीमारे मोहब्बत को जीने की अदा आई ।
तक़दीर हमारी भी तक़दीर रही होगी,
हमको जो सरे कूए महबूब बुला लाई ।
- हज़रत शाह मंज़ूर आलम शाह
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