About Us

 

वो नाज़ भरी मस्ती मैख़ाने में लहराई, 

 

मैकश के मुक़द्दर से शीशे में उतर आई ।

 

उस जलवये रंगीं की जब देख ली रानाई,

 

फिर शै कोई दुनिया की आँखों को नहीं भाई ।

 

पहलू में लिए अपने हम उनके तसव्वुर को,

 

तस्वीर सरापा थे, दुनिया थी तमाशाई ।

 

जब उनकी नज़र दिल के पैमाने से टकराई,

 

बीमारे मोहब्बत को जीने की अदा आई ।

 

तक़दीर हमारी भी तक़दीर रही होगी,

 

हमको जो सरे कूए महबूब बुला लाई ।

 

- हज़रत  शाह मंज़ूर आलम शाह 

================

छलकायेंगे बलखायेंगे

छलकायेंगे बलखायेंगे लहरा के पियेंगे !

जीना है तो जीने कि क़सम खा के जीयेंगे !!

हम पीने से तौबा करें ऐसा न करेंगे !

तौबा अरे तौबा कभी तौबा न करेंगे !!

दुनिया में कहीं और तो अब दिल नहीं लगता !

सोचा है कि मैखाने के साए में जियेंगे !!

काबा हो या बुतखाना कहीं जाके करें क्या !

अब इनके सिवा हम कहीं सजदा न करेंगे !!

इस दिल को यही टेक लगी रहती है हरदम !

पूजेंगे सनम अपने कन्हैया से मिलेंगे !!

*** हज़रत शाह मंज़ूर आलम